महापुरुषत्व खोजता एक बेचैन फ़कीर
यह बहुत अधिक रहस्य नहीं है कि महापुरुषत्व क्या होता है देशकाल की परीक्षा
में खरा उतरने पर स्वयँ इतिहास उन्हें यह विरुद सौंप देता है।
अपनी जिद के आधार पर यह महापुरुषत्व कभी नहीं छीना जा सकता है। न लालू यादव
ऐसा कर पाए और न ही अरविन्द केजरीवाल इसमें सफल होते दिख रहे हैं। आज की विचार
मीमाँसा में देखते हैं कि क्या कोई अन्य ऐसा कर सकेगा?
अन्ना हजारे रालेगण सिद्दी में महाराष्ट्र में धरने दिया करते थे। उनके शब्दों
में वे आन्दोलन किया करते थे।
पिछले दिनों उन्होंने “साड्डा हक़ एत्थे रख” के अन्दाज़ में यह भी दिखाने की
कोशिश की है कि यदि समाज उन्हें महापुरुषत्व नहीं देता है तो वे इसे बलपूर्वक ले
लेने का दम भी रखते हैं।
आओ विवेचन करें।
अन्ना एक मध्यम स्तर की शिक्षा पाए हुए पूर्व सैनिक हैं। उनकी वीरता पर प्रश्न
नहीं उठा रहे हैं परन्तु उनका ज्ञानमीमाँसक पक्ष हमेशा सबूतों का अभाव झेलता रहा।
जब शरद पवार पर किसी दुस्साहसी लड़के ने हाथ उठाया तब श्री अन्ना ने पहला प्रश्न
यही पूछा था कि क्या एक ही मारा?
उन्होंने जनता से कहा कि उन्होंने अरविन्द केजरीवाल जैसा जुझारू समाजसेवी दिया
है लिहाजा उन्हें महात्मा गाँधी द्वितीय माना जाए और केजरीवाल से कहा कि उन्होंने
केजरी को समाज में स्थापित किया है अतः उन्हें चाणक्य द्वितीय माना जाए।
उधर केजरीवाल के पराक्रम और हस्तलाघव से अन्ना घायल से हो गए। उन्हें नेपथ्य
में जाना अखरने लगा। तब उन्होंने रालेगण सिद्दी द्वितीय शुरू किया। राहुल गाँधी की
प्रशँसा की और केजरीवाल के एक सरदार गोपाल राय को डाँट लगाई। कुछ दिन अखबार में
छपे। लेकिन पर्याप्त नहीं छपे।
फिर दिल्ली आए। कहा कि केजरी सरकार को गिरवाकर भाजपा – काँग्रेस ने अपने पाँव
में कुल्हाड़ी मारी है। अब तो केजरी के पचास विधायक दिल्ली में आएँगे। मगर केजरी
उन दिनों बहुत व्यस्त थे और अन्ना को कोई प्रतिदान नहीं दे पाये।
लिहाजा अन्ना एक आखिरी जंग के लिए हावड़ा के किनारे पहुँच गये। ममता बैनर्जी के सिर
पर हाथ रखने के लिए। वहाँ जाकर हाथ रखा भी। ममता को दिल्ली आने के लिए न्यौता भी
दिया। माना जा रहा है कि ममता दिल्ली आएँगी और केजरी को सबक सिखाएँगीं। उस केजरी
की यह मजाल कि मुझे – अपने गुरू को अनदेखा करे।
जनता हतप्रभ है। यह क्या हो रहा है? केजरीवाल, राहुल, पुनः केजरी और अब ममता – आखिर अन्ना किसे तलाश कर रहे हैं।
वे इतने बेचैन क्यों हैं? वे क्या सिद्ध करना चाह रहे हैं? वे क्या पाना चाह रहे हैं? क्या वे इस भटकाव में अपने लिए एक वह महापुरुषत्व तलाश रहे हैं जिसे पाने में
वे ऑलरेडी लेट हो चुके हैं? कस्तूरी मृग की तरह फिरते अन्ना को देखकर कुछ सुजान लोग पूछ रहे हैं कि
महापुरुषत्व हथियाने का यह क्या उचित तरीका है? और अगर इस तरह से महापुरुषत्व यदि हथिया लिया भी जाता है तो बिना पात्रता के
वह आखिर टिकेगा कितने दिन?
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