सत्य प्रति घंटा
आपने सत्य के कई रूप देखे होंगे। दार्शनिकों से आपने सत्य के कई भेद भी जाने
होंगे। कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि एको सत् विप्रा बहुदा वदन्ति। मोहनदास नामके एक
महात्मा ने एक सत्य के साथ किये गए अपने प्रयोगों को लेकर एक पुस्तक – माई एक्सपैरिमैन्टस
विद ट्रुथ लिखी थी। यानी कि आपका साबका सत्य के विविध रूपों से रंगों से पड़ा
होगा। परन्तु पिछले दिनों से एक विशिष्ट श्रेणी का सत्य दिल्ली की सड़कों पर घूमता
देखा जाता है। यह है – सत्य प्रति घंटा।
…
…
ऐसी ही एक कथा आजकल दिल्ली में बाँची जा रही है। यहाँ भी केजरीवाल नामक नया
नायक अवतरित हुआ है। यह सदैव सही होता है। यह सदैव सत्य होता है। और इनके सत्य भी इन्द्रधनुषी होते हैं। सुबह वाल
सत्य। कल वाला सत्य। रामलीला ग्राउण्ड वाला सत्य। सचिवालय वाला सत्य। प्रातः 10
बजे वाला सत्य। 11 बजे वाला सत्य। शाम 7:30 बजे वाला सत्य। आदि आदि। कुछ लोगों ने पूछा कि इनका सत्य हर घँटा बदल क्यों
जाता है। पहले कुछ कहते हैं बाद में कुछ कहते हैं परन्तु फिर भी दोनों सत्य। लोग
चकित हैं कि ऐसा कैसे हो पाता है। तभी कुछ विद्वान सामने आते हैं। एक शायद कविता
पढ़ते हैं। दूसरे शायद तड़ी मारते हैं। तीसरे बहुत विद्वान स्वरूप हैं। दाढ़ी रख
छोड़ी है और बहुत शाँत भाव से मद्धिम स्वर में बात करते हैं।
कवि महोदय गा रहे हैं –
जिसने माँ का दूध पिया आकर जरा
दिखाये
दाँत तोड़ दें, आँख फोड़ दें गूँगा
उसे बनाएँ
ऐसी मार लगाएँ उसको वो पाछे पछताए
तड़ीमान महोदय उदघोष कर रहे हैं – अगर हमारे या नायक के सत्य पर प्रश्न उठाए
गए तो प्रलय कर देंगे। हमें दिल्ली की जनता ने चुन लिया है हम अपराजेय हैं। हमारे सत्य पर प्रश्न उठाने वाले लोग तैयार हो
जाएँ हम आ रहे हैं। हम तुम सबके मुँह पर कालिख पोत देंगे। ... ...
तीसरे विद्वान स्वरूपा आत्मन शुरू करते हैं – सज्जनों आप सब जानते हैं। विश्व
परिवर्तनशील है। हर पल बदलता है। हर कण हर क्षण बदलता है तो हमारे राजन का सत्य भी
तो इसी दुनिया का सच्चा स्वरूप है। वह भी बदलता है। यह बड़ा साईंटिफिक भी है।
आइंस्टीन ने स्पेस – टाईम की जिस सिंगुलैरिटी का ज़िक्र किया है वह यही तो है जो
हमारे राजा बताते हैं। जैसे जैसे स्पेस – टाईम बदलता है उससे निकला सत्य भी बदलता
है। जो अज्ञानी लोग इसे समझ नहीं पाते हैं मेरा सुझाव है कि वे लोग पहले आइंस्टीन
की थ्योरी पढ़ लें उसके बाद ही मुझसे सवाल करें तो मेरे उत्तर समझ सकेंगें।
जनता अभिभूत है। क्या चौकड़ी है? कुछ भी साबित कर देते हैं। बल्कि सब कुछ कर देते हैं। अगर सामान्य लोगों को
यह हुआ काम नहीं दिखता तो इसलिये कि वे काँग्रेस और भाजपा के झाँसे में आ गये हैं।
और इस प्रकार राजा ने अपना राज काज शुरू कर दिया है। हर एक घंटें एक नया सत्य
नोटिस बोर्ड पर चिपका दिया जाता है। जनता इस नए सत्य प्रति घंटा से कहीं चौंधिया
गई है और कहीं बौरा गई है। परन्तु क्या मज़ाल कि कोई सवाल पूछने की हिमाकत कर सके।
जवाब देने के लिए वीर – चौकड़ी कहीं आसपास ही जमी हुई है।
THE
COMPLETE ARTICLE IS AVAILABLE AT
No comments:
Post a Comment